सुंदर बहुरंगी हाथ से कढ़ाई किया हुआ कांथा सिल्क दुपट्टा
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उत्पाद वर्णन

हाथ से कढ़ाई किया हुआ और शुद्ध टसर सिल्क दुपट्टा

इस खूबसूरत बहुरंगी टसर सिल्क दुपट्टे में हाथ से कढ़ाई की गई ज्यामितीय आकृतियाँ हैं, जिन्हें कुशल कारीगरों द्वारा कांथा टांके के साथ तैयार किया गया है। कांथा कढ़ाई कपड़े को थोड़ा झुर्रीदार और लहरदार बनावट देती है। बहुमुखी प्रकृति के इस दुपट्टे का इस्तेमाल एथनिक कुर्ते के कपड़े के रूप में भी किया जा सकता है।

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जीआई टैग - Yes | Chanderi Sarees from Madhya Pradesh, India

A graceful blend of silk and cotton interspersed with silver and golden zari, celebrated for its soft tones, muted translucent sheen, and breathable lightweight texture!

Chanderi is a small town in the Ashok Nagar district of Madhya Pradesh, renowned for its finely crafted Chanderi sarees, handwoven by the Koli weavers who have been practicing the craft since the 13th century and have perfected it over generations. Historically, this weaving tradition has received admiration and support from the Mughals, Rajputs, and later from the royal Scindia family.

Initially, Chanderi weaving utilized only cotton yarn, which was ideal for daily wear in hot summers. Later, the incorporation of silver and golden zari threads for borders and motifs added a touch of opulence, enhancing the aesthetic appeal of the sarees. In the 1930s, the introduction of Japanese silk to replace cotton warps transformed Chanderi weaving, resulting in the creation of the distinctive fabric we recognize today. Notably, Chanderi weavers used raw silk that does not undergo the degumming process (known as flature yarn), retaining the raw glue. This method prevents yarn breakage during weaving and imparts Chanderi with its unique sheen and texture. Read more

Chanderi Weaving

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